Apple के लोगो के पीछे की कहानी बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे एक साधारण फल का लोगो एक वैश्विक पहचान बन गया और क्यों इस पर एक काटा हुआ हिस्सा है।
Apple का पहला लोगो
Apple की स्थापना 1976 में हुई थी, और इसका पहला लोगो बिल्कुल अलग था। इसे Ronald Wayne ने डिजाइन किया था, जिसमें Isaac Newton को एक पेड़ के नीचे बैठे हुए दिखाया गया था, जिसके ऊपर एक सेब लटक रहा था। यह लोगो न केवल जटिल था, बल्कि इसे छोटे आकार में प्रिंट करना भी मुश्किल था। इसके अलावा, यह कंपनी की पहचान को सही तरीके से व्यक्त नहीं करता था, इसलिए यह जल्दी ही पुराना हो गया.
नया और आधुनिक लोगो
1977 में, Steve Jobs ने महसूस किया कि कंपनी को एक नए और आधुनिक लोगो की आवश्यकता है। उन्होंने Rob Janoff को इस काम के लिए नियुक्त किया। Janoff ने एक साधारण 2D सेब का डिजाइन बनाया, जिसमें सेब के एक हिस्से को काटा हुआ दिखाया गया था। यह डिजाइन न केवल सरल था, बल्कि इसमें एक इंद्रधनुषी रंग भी शामिल किया गया था, जिससे यह उस समय के अन्य ब्रांडों में अलग दिखता था.
काटा हुआ सेब
लोगो में काटा हुआ हिस्सा रखने का मुख्य कारण यह था कि इससे यह स्पष्ट हो सके कि यह एक सेब है, न कि कोई अन्य फल जैसे चेर्री। इसके अलावा, “byte” शब्द की तकनीकी संदर्भ के कारण भी इसे शामिल किया गया था। इस तरह, काटा हुआ सेब न केवल पहचान का प्रतीक बन गया, बल्कि तकनीकी दुनिया में भी इसका महत्व बढ़ गया.
लोगो का विकास
1984 में Macintosh के लॉन्च के समय, लोगो में कुछ छोटे बदलाव किए गए। इस बार कंपनी के नाम को हटाकर केवल सेब का प्रतीक रखा गया। यह बदलाव Apple की पहचान को और मजबूत करने में मददगार साबित हुआ। 1998 में जब Steve Jobs ने कंपनी में वापसी की, तो उन्होंने लोगो के रंग को इंद्रधनुषी से काले रंग में बदल दिया ताकि यह नए उत्पादों के साथ मेल खा सके.
आज का Apple लोगो
आज का Apple लोगो बहुत ही सरल और आधुनिक है। वर्तमान में यह काला या सफेद होता है और इसका डिज़ाइन बहुत ही न्यूनतम है। Apple ने इस लोगो को अपने ब्रांड की पहचान के रूप में स्थापित किया है, जो इसे विश्वभर में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक बनाता है.
Apple का लोगो न केवल एक साधारण फल का प्रतीक है, बल्कि यह नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसका विकास हमें बताता है कि कैसे एक साधारण विचार को सही दिशा देकर उसे वैश्विक पहचान दी जा सकती है।