बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर दिल्ली के प्रसिद्ध इंडिया गेट का नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इंडिया गेट का नाम ‘भारत माता द्वार’ रखा जाए। उनका मानना है कि यह बदलाव भारत के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का एक तरीका होगा।
पत्र में उठाए गए मुद्दे
सिद्दीकी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति और राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा मिला है। उन्होंने उल्लेख किया कि मोदी सरकार ने मुगलों और अंग्रेजों द्वारा दिए गए घावों को भरने का कार्य किया है, जिससे भारतीयों में खुशी और गर्व की भावना जागृत हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे औरंगजेब रोड का नाम बदलकर ए.पी.जे. कलाम रोड रखा गया और इंडिया गेट पर लगी किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति को हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित की गई।
इंडिया गेट का महत्व
इंडिया गेट, जिसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है, शहीद भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है। यह स्थान हर साल गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन स्थल होता है, जहां तीनों सेनाओं के कमांडर परेड निकालते हैं। यह दिल्ली आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी है। सिद्दीकी का कहना है कि इंडिया गेट का नाम बदलकर ‘भारत माता द्वार’ करने से उस स्तंभ पर दर्ज हजारों शहीद देशभक्तों के नाम को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी।
नाम बदलने की आवश्यकता
सिद्दीकी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि इंडिया गेट का नया नाम भारत माता द्वार रखने से न केवल शहीदों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह भारत की संस्कृति और पहचान को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, “आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरे प्रस्ताव पर विचार कर भारत माता द्वार करने की कृपा करें।”
राजनीतिक संदर्भ
यह मांग ऐसे समय में उठाई गई है जब भारतीय राजनीति में सांस्कृतिक पहचान और इतिहास को पुनः परिभाषित करने की चर्चा जोरों पर है। बीजेपी सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनका उद्देश्य भारत के इतिहास को नए सिरे से देखने और समझने का प्रयास करना है। जमाल सिद्दीकी की यह मांग उसी दिशा में एक और कदम हो सकती है।
इंडिया गेट का नाम बदलने की मांग एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दा बन सकता है। यह न केवल शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और पहचान को भी पुनर्स्थापित करने का प्रयास करता है। देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या यह बदलाव वास्तव में संभव हो पाएगा।