Heart Attack : बच्चों में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। हाल के वर्षों में, विभिन्न स्कूलों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां छोटे बच्चों को हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी जान चली गई। इस लेख में हम जानेंगे कि इसके पीछे क्या कारण हैं और विशेषज्ञों का क्या कहना है।
बच्चों में Heart Attack के बढ़ते मामले
हालिया घटनाएँ
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कई स्कूलों से बच्चों की हार्ट अटैक से मौत की घटनाएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, लखनऊ के एक स्कूल में कक्षा 3 की छात्रा की खेलते समय मौत हो गई, जिसे हार्ट अटैक बताया गया। इसी तरह, अमरोहा में एक 7 साल की बच्ची को स्कूल में हार्ट अटैक आया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई। ये घटनाएं न केवल चिंताजनक हैं बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
मुख्य कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं:
- मोटापा: बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है, जो हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
- खराब जीवनशैली: अनहेल्दी फूड्स का अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
- जन्मजात बीमारियाँ: कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की बीमारियाँ होती हैं, जैसे कि हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी और लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम, जो अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती हैं।
- तनाव: बच्चों पर पढ़ाई का दबाव और तनाव भी उनकी स्वास्थ्य स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. अश्विनी मेहता ने बताया कि बच्चों में हार्ट अटैक की घटनाएँ आमतौर पर अचानक कार्डियक अरेस्ट के रूप में होती हैं, न कि सामान्य हार्ट अटैक के रूप में। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब बच्चे की दिल की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं या किसी अन्य अंतर्निहित समस्या के कारण दिल सही तरीके से काम नहीं कर पाता।
बचाव के उपाय
बच्चों को इस समस्या से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
– स्वस्थ आहार: बच्चों को संतुलित आहार देना चाहिए जिसमें फल, सब्जियाँ और अनाज शामिल हों। जंक फूड और तैलीय पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
– शारीरिक गतिविधियाँ: बच्चों को नियमित रूप से खेलकूद और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल करना चाहिए ताकि उनका वजन नियंत्रित रहे।
– स्वास्थ्य जांच: अगर किसी बच्चे में कोई असामान्य लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। विशेषकर उन बच्चों का ध्यान रखना चाहिए जिनका परिवारिक इतिहास दिल की बीमारियों का रहा हो।
बच्चों में हार्ट अटैक के मामलों का बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें मोटापा, खराब जीवनशैली और जन्मजात बीमारियाँ शामिल हैं। माता-पिता और शिक्षकों को इस दिशा में जागरूक रहना चाहिए और बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।