Sunday: सन्डे यानि रविवार की छुट्टी की शुरुआत सबसे पहले रोमन साम्राज्य में हुई थी। तीसरी शताब्दी में चीन के हान राजवंश ने अधिकारियों को पांच दिन में एक बार स्नान करने के लिए अवकाश दिया था, जो कि वहां की पहली साप्ताहिक छुट्टी मानी जाती है। लेकिन रोमन साम्राज्य में ही सन्डे यानि रविवार को पूरे दिन की छुट्टी और शनिवार को आधे दिन की छुट्टी का प्रावधान किया गया था।
यूरोप में भी सन्डे की छुट्टी का प्रचलन रोमन साम्राज्य से ही शुरू हुआ और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैलता गया। भारत में भी अंग्रेजों के आने के बाद ही सन्डे की छुट्टी की शुरुआत हुई। अंग्रेजों के शासन काल में श्रमिकों को सप्ताह के सभी सात दिन काम करना पड़ता था और उनके लिए कोई छुट्टी का दिन नहीं था, जबकि अंग्रेज अधिकारी और उनका स्टाफ सन्डे को छुट्टी मनाता था।
महाराष्ट्र के श्रमिक नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने सन्डे की छुट्टी के लिए 7 साल तक संघर्ष किया और अंततः ब्रिटिश सरकार ने 10 जून 1890 को सन्डे को छुट्टी घोषित कर दिया। इस प्रकार भारत में भी सन्डे की छुट्टी की शुरुआत हुई।
विभिन्न देशों में सन्डे की छुट्टी
आज दुनिया के अधिकांश देशों में सन्डे को छुट्टी का दिन माना जाता है। हालांकि कुछ देशों में शनिवार और रविवार दोनों दिन छुट्टी होती है, लेकिन सन्डे को ही सबसे ज्यादा छुट्टी का दिन माना जाता है। कुछ देशों में शुक्रवार को छुट्टी होती है, जैसे मुस्लिम बहुल देशों में। इसके अलावा कुछ देशों में शुक्रवार और शनिवार या शनिवार और रविवार को छुट्टी होती है।
निम्नलिखित तालिका में कुछ देशों में सन्डे की छुट्टी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:

इस प्रकार हम देखते हैं कि दुनिया के अधिकांश देशों में सन्डे को ही छुट्टी का दिन माना जाता है, हालांकि कुछ देशों में अन्य दिनों को भी छुट्टी का दिन घोषित किया गया है।
Sunday की छुट्टी का महत्व
सन्डे की छुट्टी का महत्व निम्नलिखित कारणों से समझा जा सकता है:
1. मानसिक और शारीरिक विश्राम: सप्ताह भर के कठोर परिश्रम के बाद सन्डे को मिलने वाली छुट्टी से लोगों को मानसिक और शारीरिक विश्राम मिलता है।
2. धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर: ईसाई धर्म में रविवार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन लोग चर्च में प्रार्थना करने जाते हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन: सन्डे को लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने और सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
4. पर्यटन और मनोरंजन के लिए समय: सन्डे को लोग घूमने-फिरने, पर्यटन और मनोरंजन के लिए समय निकालते हैं।
इस प्रकार सन्डे की छुट्टी का महत्व व्यक्ति के जीवन में कई स्तरों पर देखा जा सकता है।
सन्डे की छुट्टी का इतिहास काफी पुराना है और यह रोमन साम्राज्य से शुरू होकर आज पूरी दुनिया में फैल गया है। भारत में भी अंग्रेजों के शासन काल में श्रमिकों के संघर्ष के बाद सन्डे की छुट्टी की शुरुआत हुई। आज दुनिया के अधिकांश देशों में सन्डे को ही छुट्टी का दिन माना जाता है और इसका महत्व व्यक्ति के जीवन में कई स्तरों पर देखा जा सकता है। सन्डे की छुट्टी से लोगों को मानसिक और शारीरिक विश्राम, धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और पर्यटन एवं मनोरंजन के लिए समय मिलता है।