स्कूल बसों का रंग हमेशा पीला क्यों होता है, यह एक दिलचस्प सवाल है जिसका जवाब कई वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारणों में छिपा है। पीला रंग न केवल बच्चों के लिए पहचानने में आसान होता है, बल्कि यह सुरक्षा और दृश्यता के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा और दृश्यता
पीला रंग सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला रंग माना जाता है। यह दिन के उजाले में और कोहरे में भी आसानी से देखा जा सकता है। जब स्कूल बसें सड़क पर चलती हैं, तो उनका पीला रंग अन्य वाहनों के चालकों का ध्यान खींचता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कम हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पीले रंग की लम्बाई तरंग (Wavelength) लाल रंग से कम होती है लेकिन नीले रंग से अधिक होती है, जिससे यह दूर से भी स्पष्ट दिखाई देता है। यह विशेषता इसे अन्य रंगों की तुलना में अधिक प्रभावी बनाती है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
पीला रंग खुशी और उत्साह से जुड़ा होता है। अध्ययनों से पता चला है कि यह बच्चों को स्कूल जाने के लिए उत्साहित कर सकता है और उन्हें स्कूल बस में सुरक्षित महसूस कराता है। इसलिए, स्कूल बस का पीला रंग न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
मानक और नियम
कई देशों में, स्कूल बसों के लिए पीले रंग का उपयोग अनिवार्य किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी स्कूल बसें एक समान दिखें और आसानी से पहचानी जा सकें[2][4]। भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं कि स्कूल कैब का रंग हाईवे पर पीला होना चाहिए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ऐतिहासिक बेकग्राउंड
स्कूल बसों के लिए पीले रंग का चलन सबसे पहले अमेरिका में 1930 के दशक में शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक यह प्रथा कई देशों में अपनाई गई है। इसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना और उन्हें सुरक्षित रूप से स्कूल लाना रहा है.
इस प्रकार, स्कूल बसों का पीला रंग न केवल एक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह सुरक्षा, दृश्यता और बच्चों की मानसिक भलाई के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब आप अगली बार किसी पीली स्कूल बस को देखें, तो याद रखें कि इसके पीछे एक गहरा अर्थ और कई वैज्ञानिक कारण हैं।