भगवान की मूर्ति या फोटो को उपहार में देने का विषय भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस पर विभिन्न विचार और दृष्टिकोण मौजूद हैं। यहाँ हम इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे कि क्या किसी को भगवान की मूर्ति या फोटो गिफ्ट देनी चाहिए या नहीं।
भगवान की मूर्ति गिफ्ट देने के नियम
धार्मिक दृष्टिकोण
भारतीय संस्कृति में भगवान की मूर्तियों को अत्यधिक सम्मान दिया जाता है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भगवान की मूर्ति किसी को उपहार में नहीं दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि जब कोई व्यक्ति भगवान की मूर्ति को उपहार में देता है, तो वह उस व्यक्ति से यह अपेक्षा करता है कि वह उसकी उचित सेवा करेगा। यदि ऐसा नहीं हो पाता, तो यह धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है.
व्यक्तिगत सेवा का महत्व
प्रेमानंद महाराज ने यह भी बताया कि घर में पहले से ही कितनी मूर्तियाँ स्थापित हैं और उनकी सेवा करने की क्षमता होनी चाहिए। अगर किसी के पास पहले से ही कई मूर्तियाँ हैं, तो नई मूर्ति को स्थापित करना और उसकी सेवा करना कठिन हो सकता है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि व्यक्ति केवल उतनी ही मूर्तियाँ रखें, जितनी उनकी सेवा कर सकें।
वास्तु शास्त्र का दृष्टिकोण
वास्तु शास्त्र भी इस विषय पर स्पष्टता प्रदान करता है। इसके अनुसार, भगवान की मूर्तियाँ किसी को उपहार में नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह न केवल धार्मिक अपमान हो सकता है, बल्कि इससे वास्तु दोष भी उत्पन्न हो सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि किसी ने मूर्तियों का सही से ध्यान नहीं रखा, तो इसका नकारात्मक प्रभाव उस व्यक्ति और उसके परिवार पर पड़ सकता है.
क्या करें अगर कोई गिफ्ट में मूर्ति दे?
यदि कोई व्यक्ति आपको भगवान की मूर्ति उपहार में देता है, तो प्रेमानंद महाराज का सुझाव है कि आपको उस मूर्ति का दर्शन करना चाहिए और फिर उसे वापस कर देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आप उस व्यक्ति का सम्मान करते हैं, लेकिन आप अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे स्वीकार नहीं कर सकते.
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
भारतीय समाज में उपहार देने की परंपरा बहुत पुरानी है। विशेष अवसरों पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं। लेकिन जब बात भगवान की मूर्तियों की आती है, तो यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ये केवल व्यक्तिगत पूजा के लिए होती हैं और इन्हें उपहार के रूप में नहीं दिया जाना चाहिए। इससे न केवल धार्मिक भावनाएँ प्रभावित होती हैं बल्कि सामाजिक मान्यताएँ भी प्रभावित होती हैं।
भगवान की मूर्तियों या फोटो को उपहार में देना एक संवेदनशील विषय है जो धार्मिक, सामाजिक और व्यक्तिगत मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। प्रेमानंद महाराज जैसे विद्वानों के अनुसार, इसे न तो दिया जाना चाहिए और न ही लिया जाना चाहिए। यदि आपको कोई गिफ्ट में देता है, तो उसका सम्मान करें लेकिन उसे स्वीकार न करें। इस प्रकार हम अपनी धार्मिक आस्था और मान्यताओं का सम्मान कर सकते हैं।