दिवाली का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व न केवल भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है, बल्कि इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। यह जानना दिलचस्प है कि जब राम जी वनवास पूरा करके लौटे थे, तब भी लक्ष्मी जी की पूजा क्यों की जाती है। इस लेख में हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
राम जी का वनवास और दिवाली का पर्व
भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास पूरा किया और रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे। अयोध्यावासियों ने उनकी वापसी का स्वागत दीप जलाकर किया, जो दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या को आता है, और इस दिन अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक माना जाता है। राम जी के स्वागत के लिए जलाए गए दीपों ने इस दिन को एक विशेष महत्व दिया।
लक्ष्मी पूजा का महत्व
जबकि दिवाली का पर्व भगवान राम से जुड़ा है, इस दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व भी अत्यधिक है। इसके पीछे कई पौराणिक कहानियाँ और मान्यताएँ हैं:
- समुद्र मंथन: एक प्रमुख मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। यह घटना कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुई थी, जो दिवाली के दिन ही आती है। इसलिए, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है.
- धन और समृद्धि: देवी लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। दिवाली पर उनकी पूजा करने से घर में धन और सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
- गणेश पूजा: लक्ष्मी जी की पूजा के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। गणेश जी को सभी कार्यों में पहले पूजने योग्य माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा लक्ष्मी पूजन से पहले की जाती है.
धार्मिक मान्यताएँ
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएँ भी हैं:
– नई शुरुआत: भारतीय कालगणना के अनुसार, 14 मनुओं का समय बीतने और प्रलय होने के बाद पुनर्निर्माण और नई सृष्टि का आरंभ दीपावली के दिन ही हुआ था। इसलिए इसे नए आरंभ का समय माना जाता है.
– शांति और समृद्धि: यह दिन शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी का स्वागत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
इस प्रकार, दिवाली केवल भगवान राम के अयोध्या लौटने का पर्व नहीं है, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की पूजा का भी महत्वपूर्ण अवसर है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकाश और समृद्धि दोनों ही जीवन में आवश्यक हैं। इसलिए, दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया भी है।