हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा का जल सूखने के पीछे कई कारण हैं, जो न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े हैं, बल्कि पर्यावरणीय और प्रशासनिक मुद्दों से भी संबंधित हैं। हर की पौड़ी, जो कि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, यहां श्रद्धालु गंगा में स्नान करने आते हैं। इस घाट का धार्मिक महत्व इतना है कि इसे “हरि के चरणों का स्थान” माना जाता है। लेकिन हाल ही में यहां गंगा का जल सूख गया है, जिससे श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
गंगा का सूखना: कारण
-
गंग नहर का बंद होना:
हरिद्वार में गंगा नदी की धारा को रोकने के लिए गंग नहर को बंद किया गया है। यह प्रक्रिया हर साल होती है, जिसमें लगभग 20 दिनों के लिए जल प्रवाह को रोका जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य गंगा की सफाई करना और घाटों की मरम्मत करना होता है।
-
सफाई कार्य:
गंगा नदी की सफाई के लिए चल रहे कार्यों के कारण भी जल स्तर में कमी आई है। इस दौरान घाटों से कचरा हटाने और अन्य निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल प्रवाह प्रभावित होता है।
-
पर्यावरणीय प्रभाव:
जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों का भी गंगा के जल स्तर पर प्रभाव पड़ा है। अधिकतर समय, अत्यधिक बारिश या सूखे जैसे मौसम परिवर्तन भी नदी के जल प्रवाह को प्रभावित करते हैं।
श्रद्धालुओं की परेशानी
गंगा के सूखने से श्रद्धालुओं को स्नान करने में कठिनाई हो रही है। कई भक्त केवल गहरे गड्ढों में बचे हुए जल में स्नान करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जो कि उनकी धार्मिक आस्था के लिए निराशाजनक स्थिति है[2][4]। हरिद्वार आने वाले पर्यटकों को इस स्थिति की जानकारी नहीं होने पर निराशा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी यात्रा का अनुभव खराब हो रहा है।
प्रशासनिक पहल
इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं। घाटों की सफाई और मरम्मत कार्य जारी हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को जल प्रवाह की कमी के बारे में पहले से सूचित करना आवश्यक है। इसके अलावा, स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो।
हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा का सूखना एक गंभीर मुद्दा है जो धार्मिक आस्था और पर्यावरणीय संतुलन दोनों को प्रभावित करता है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस समस्या का समाधान निकाले और श्रद्धालुओं को उचित जानकारी प्रदान करे ताकि वे अपनी धार्मिक यात्रा का आनंद ले सकें।