एक मामूली लोहे की कील पानी में डूब जाती है, जबकि बड़े-बड़े जहाज तैरते रहते हैं। यह एक दिलचस्प भौतिकी का प्रश्न है, जो आर्कमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
आर्कमिडीज का सिद्धांत
आर्कमिडीज का सिद्धांत कहता है कि जब कोई वस्तु पानी में डाली जाती है, तो वह अपने वजन के बराबर पानी को विस्थापित करती है। यदि विस्थापित पानी का वजन उस वस्तु के वजन से अधिक है, तो वह वस्तु तैरती है; यदि कम है, तो वह डूब जाती है।
लोहे की कील का उदाहरण
जब हम लोहे की एक कील को पानी में डालते हैं, तो उसका घनत्व (density) पानी के घनत्व से अधिक होता है। लोहे की कील का औसत घनत्व लगभग 7.87 ग्राम/सेमी³ होता है, जबकि पानी का घनत्व 1 ग्राम/सेमी³ होता है। इसका मतलब है कि कील अपने वजन के बराबर पानी को विस्थापित नहीं कर पाती, जिससे वह डूब जाती है।
जहाज का तैरना
इसके विपरीत, एक जहाज का डिज़ाइन ऐसा होता है कि उसका औसत घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है। जहाज का आकार बड़ा और खोखला होता है, जिससे वह अधिक मात्रा में पानी को विस्थापित कर सकता है। जब एक जहाज पानी में होता है, तो वह अपने वजन के बराबर पानी को हटाता है और इस तरह से तैरता रहता है।
क्यों नहीं डूबता जहाज?
- विस्थापन का सिद्धांत: जहाज अपने आकार के कारण बहुत अधिक पानी को विस्थापित करता है। इसलिए, जब वह पानी में होता है, तो उसके द्वारा हटाए गए पानी का वजन उसके खुद के वजन से अधिक होता है।
- आकार और डिज़ाइन: जहाजों का डिज़ाइन इस तरह से किया जाता है कि उनका केंद्रित वजन और आकार उन्हें स्थिरता प्रदान करता है। यह उन्हें आसानी से तैरने में मदद करता है।
- खोखले हिस्से: जहाजों के अंदर खोखले हिस्से होते हैं जो उन्हें हल्का बनाते हैं। इससे उनका कुल घनत्व कम हो जाता है।
- भारी सामान: जहाजों पर भारी सामान लादने पर भी, उनका डिज़ाइन ऐसा होता है कि वे फिर भी तैरते रहें।
इस प्रकार, एक साधारण लोहे की कील का डूबना और एक विशाल जहाज का तैरना भौतिकी के मूल सिद्धांतों पर निर्भर करता है। आर्कमिडीज का सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे वस्तुएं अपने आकार और घनत्व के आधार पर पानी में तैरती या डूबती हैं। यह भौतिकी का एक अद्भुत पहलू है जो हमें रोजमर्रा की जिंदगी में देखने को मिलता है।