हाल ही में, केरल हाई कोर्ट ने कारों के शीशों पर ब्लैक फिल्म लगाने को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इस निर्णय ने उन कार चालकों को राहत दी है जो अपनी गाड़ियों के विंडो पर प्लास्टिक या कूलिंग फिल्म लगाना चाहते थे।
केरल हाई कोर्ट का निर्णय
12 सितंबर 2024 को केरल हाई कोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया कि यदि कार के शीशों पर सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के अनुसार फिल्म लगी है, तो पुलिस द्वारा चालान करना गलत होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कार चालक अपनी जरूरतों के अनुसार खिड़कियों पर प्लास्टिक फिल्म लगवा सकते हैं, बशर्ते वह नियमों का पालन करें.
नियमों का पालन
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में ब्लैक फिल्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था, यह कहते हुए कि इससे जनता की सुरक्षा को खतरा होता है। हालांकि, 1 अप्रैल 2021 से लागू केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के संशोधन के अनुसार, गाड़ियों के आगे और पीछे के शीशों पर 70% और किनारों पर 50% पारदर्शिता की आवश्यकता है। इस संशोधन का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे फिल्मों का उपयोग कानूनी है, लेकिन जीरो विजिबिलिटी वाली काली फिल्म पर अब भी जुर्माना लगाया जाएगा.
चालान और जुर्माना
यदि आपकी गाड़ी में शीशे का रंग काला है और वह नियमों से अधिक काला है, तो ट्रैफिक पुलिस चालान काट सकती है। यदि आप ब्लैक फिल्म लगवाना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित नियमों का पालन करना होगा:
– फ्रंट और बैक ग्लास: न्यूनतम 70% विजिबिलिटी होनी चाहिए।
– साइड ग्लास: न्यूनतम 50% विजिबिलिटी होनी चाहिए।
यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो पुलिस आपका चालान नहीं काट सकती है। यदि आप नियम तोड़ते हैं, तो पहले बार में आपको ₹100 का जुर्माना भरना होगा, दूसरी बार में ₹300 और तीसरी बार में आपका लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है.
सुरक्षा पहलू
ब्लैक फिल्म लगाने का एक बड़ा कारण गर्मी से बचना और प्राइवेसी को बढ़ाना होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अधिक काले शीशे दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं क्योंकि वे सड़क पर दृश्यता को कम कर देते हैं। इसके अलावा, कई अपराधी ऐसी गाड़ियों का उपयोग करते हैं जिनमें काले शीशे लगे होते हैं, जिससे उनकी पहचान छिपी रहती है.
केरल हाई कोर्ट का यह निर्णय न केवल कार चालकों को राहत देता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि वे सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए अपनी जरूरतों के अनुसार अपने वाहनों को मॉडिफाई कर सकें। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि कानून केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है और इसे समझदारी से अपनाया जाना चाहिए।