Voting : भारत में चुनावी प्रक्रिया के दौरान, मतदाताओं के बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर अमिट स्याही लगाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक मतदाता एक ही बार वोट डाले। इस प्रक्रिया को समझने के लिए हमें इसके पीछे के कारण और विधियों पर ध्यान देना होगा।
अमिट स्याही का महत्व
अमिट स्याही का उपयोग भारत में 1951-52 में शुरू हुआ था। उस समय कई मतदाताओं ने एक से अधिक बार मतदान करने की कोशिश की थी, जिससे चुनावों की निष्पक्षता पर प्रश्न उठने लगे। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया कि मतदाता की उंगली पर एक स्थायी निशान बनाया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसने पहले ही वोट डाल दिया है.
स्याही लगाने की प्रक्रिया (Voting)
मतदाता जब मतदान केंद्र पर पहुंचता है, तो उसके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर अमिट स्याही लगाई जाती है। यह प्रक्रिया मतदान रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने से पहले होती है, ताकि स्याही को सूखने का पर्याप्त समय मिल सके। यदि किसी मतदाता की बाईं तर्जनी नहीं है, तो स्याही उसकी अन्य अंगुलियों पर लगाई जाती है। यदि किसी के पास कोई भी अंगुली नहीं है, तो स्याही उसके हाथ के ठूंठ पर लगाई जाती है.
स्याही का निर्माण और गुण (Voting)
अमिट स्याही एक विशेष प्रकार की स्याही होती है जो आमतौर पर सिल्वर नाइट्रेट और विभिन्न रंगों के मिश्रण से बनाई जाती है। यह पानी आधारित होती है और इसे त्वचा पर लगाने के बाद इसे मिटाना संभव नहीं होता। इसकी रासायनिक संरचना इसे स्थायी बनाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मतदाता अपनी पहचान को छुपा नहीं सकता.
मतदाता की पहचान और निरीक्षण
मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए मतदान अधिकारियों द्वारा उसकी अंगुली का निरीक्षण किया जाता है। यदि किसी मतदाता ने अपनी उंगली पर तैलीय पदार्थ लगाया हो, तो उसे हटाया जाता है ताकि स्याही सही तरीके से लग सके। इसके अलावा, यदि किसी ने पहले से ही स्याही को मिटाने का प्रयास किया हो, तो उसे वोट डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सोशल मीडिया और चुनावी जागरूकता
हाल के वर्षों में, चुनावी स्याही के साथ सेल्फी लेना एक ट्रेंड बन गया है। युवा मतदाता अपने वोट डालने के बाद इस निशान को दिखाते हुए सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हैं, जिससे चुनावों के प्रति जागरूकता बढ़ती है.
भारत में मतदान प्रक्रिया में अमिट स्याही का उपयोग न केवल एक तकनीकी उपाय है बल्कि यह लोकतंत्र का प्रतीक भी है। यह सुनिश्चित करता है कि हर मतदाता अपनी जिम्मेदारी निभाए और चुनावों में निष्पक्षता बनी रहे।