बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हाल ही में दिवाली पर पटाखों के बैन को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस प्रतिबंध को अन्य धार्मिक त्योहारों के साथ तुलना करते हुए सवाल उठाया है कि जब बकरीद पर कुर्बानी की अनुमति है, तो दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इसने विभिन्न समुदायों के बीच बहस छेड़ दी है।
धीरेंद्र शास्त्री का बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “हमने सुतली बम खरीद लिया है। कोई बकरीद पर बकरा काटने से नहीं रोकता, तो दिवाली पर पटाखे क्यों नहीं जलाए जा सकते?” उन्होंने यह भी कहा कि यह धार्मिक भेदभाव का एक उदाहरण है। उनका मानना है कि सभी त्योहारों को समान रूप से मनाने का अधिकार होना चाहिए और किसी एक धर्म के त्योहार को निशाना बनाना उचित नहीं है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दे रहा है। कुछ लोग उनके समर्थन में हैं और उनका कहना है कि हर धर्म को अपने त्योहार मनाने का अधिकार है। वहीं, कुछ लोग इस बयान की आलोचना कर रहे हैं और इसे असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला मानते हैं।
धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया
इस मामले में मौलाना तौकीर राजा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार की धार्मिक असहिष्णुता से बचना चाहिए। उनका मानना है कि सभी त्योहारों का सम्मान होना चाहिए, लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पटाखों पर प्रतिबंध जरूरी हो सकता है।
पटाखों का पर्यावरणीय प्रभाव
दिवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों के उपयोग से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखे जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कुछ राज्य सरकारें दिवाली पर पटाखों के बैन को लागू कर रही हैं ताकि लोगों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि धार्मिक त्योहारों को मनाने में समानता होनी चाहिए। हालांकि, सुरक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं। इस विषय पर आगे की चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है ताकि सभी धर्मों के अनुयायी एक साथ मिलकर अपने त्योहार मना सकें।