दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस वर्ष, दिवाली की तारीख को लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई थी कि इसे 31 अक्टूबर को मनाना चाहिए या 1 नवंबर को। हालाँकि, हाल ही में विभिन्न ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों ने स्पष्ट किया है कि दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
दिवाली की तिथि का महत्व
दिवाली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 5:13 बजे तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली के लिए अमावस्या का होना आवश्यक है, और इस वर्ष यह तिथि 31 अक्टूबर को है।
विशेषज्ञों की राय
आचार्य मदन मोहन पाठक का कहना है कि इस बार दिवाली पर प्रदोष काल का महत्व है, जो सूर्यास्त के बाद होता है। इस वर्ष प्रदोष काल 31 अक्टूबर को ही मिल रहा है, जिससे यह दिन विशेष रूप से शुभ बनता है। यदि अमावस्या तिथि 1 नवंबर को होती, तो दिवाली मनाना उचित होता, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।
आचार्य महेंद्र पाठक ने भी पुष्टि की कि बंगाली पंचांग के अनुसार रात्रि व्यापिनी अमावस्या 31 अक्टूबर की रात है। इसलिए, दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाना चाहिए।
कन्फ्यूजन का कारण
इस बार के कन्फ्यूजन का मुख्य कारण यह था कि कई स्थानों पर विद्वानों ने अलग-अलग तारीखें बताई थीं। कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली मान रहे थे क्योंकि अमावस्या तिथि उस दिन भी प्रभावी थी। लेकिन धर्मशास्त्रीय वचनों और गणितीय मानों के अनुसार, पूरे देश में दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
दिवाली से जुड़े अन्य त्योहार
– 29 अक्टूबर: धनतेरस
– 30 अक्टूबर: नरक चतुर्दशी
– 31 अक्टूबर: दीपावली
– 2 नवंबर: गोवर्धन पूजा
– 3 नवंबर: भाई दूज
इन त्योहारों के बीच, दिवाली का पर्व सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे बड़े धूमधाम से मनाने की परंपरा रही है।
उपसंहार
इस वर्ष दिवाली के दिन को लेकर जो भ्रम था, वह अब समाप्त हो गया है। विद्वानों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसलिए, सभी भक्तों को इस दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए तैयार रहना चाहिए और अपने घरों को रोशनी से सजाना चाहिए।