कन्या पूजन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है। यह अनुष्ठान देवी दुर्गा के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का एक तरीका है। कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करना चाहिए, यह जानना भी उतना ही आवश्यक है। इस लेख में हम इस प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।
कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन का आयोजन आमतौर पर अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है। इस दिन, 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ अवतारों के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में कन्याओं के प्रति सम्मान और उनकी स्थिति को भी उजागर करती है।
कलश का महत्व
नवरात्रि के दौरान स्थापित कलश, देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसे पवित्र जल और नारियल से भरा जाता है, जो समृद्धि और सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है। पूजा के बाद, कलश का विसर्जन करना आवश्यक होता है, ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करें?
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नारियल का विसर्जन
कन्या पूजन के बाद सबसे पहले आपको कलश पर रखा नारियल अलग करना चाहिए। इसे एक लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर में रख सकते हैं या इसे नदी में प्रवाहित कर सकते हैं। नारियल को कभी भी अपवित्र स्थान पर नहीं रखना चाहिए.
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जल का उपयोग
कलश में रखे जल को पूरे घर में छिड़कना चाहिए। यह जल गंगाजल के समान पवित्र माना जाता है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। बचे हुए जल को किसी गमले में डाल दें, लेकिन इसे नाली या बेसिन में नहीं बहाना चाहिए[3][5].
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अक्षत और चावल
कलश के नीचे रखे अक्षत (चिउड़े) को पूरे घर में छिड़कें। बचे हुए चावलों को अनाज में मिलाकर रखें और कुछ चावल गमले में डालें.
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जवारे
यदि आपने कलश के पास जवारे उगाए हैं, तो उन्हें किसी गमले में विसर्जित करें। कुछ जवारे अपनी तिजोरी या पैसे रखने वाले स्थान पर रखें, जिससे आर्थिक समृद्धि बनी रहे.
ध्यान रखने योग्य बातें
– मुहूर्त: कलश विसर्जन हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। इसके लिए विशेष मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक होता है।
– सफाई: विसर्जन के बाद सभी वस्तुओं की सफाई करें ताकि कोई अपवित्रता न रहे।
– आशीर्वाद: कन्याओं से आशीर्वाद लेकर उन्हें उपहार दें, जैसे कि चूड़ियां या नए कपड़े.
कन्या पूजन और उसके बाद कलश का विसर्जन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह कन्याओं के प्रति सम्मान प्रकट करता है और घर में सुख-समृद्धि लाने का कार्य करता है।