महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय मुद्रा पर एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि वे पहले विकल्प नहीं थे। भारतीय करेंसी नोटों पर गांधी जी की तस्वीर कैसे आई, यह एक दिलचस्प कहानी है।
महात्मा गांधी का प्रारंभिक खारिज
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्वतंत्रता के बाद करेंसी नोटों के डिज़ाइन के लिए कई विकल्पों पर विचार किया। स्वतंत्रता के तुरंत बाद, सबसे पहले राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर को हटाने का विचार किया गया। हालांकि, अंततः यह निर्णय लिया गया कि गांधी जी की जगह सारनाथ के शेर के अभिलेख का चित्र लगाया जाए। इस प्रकार, स्वतंत्रता के बाद के करेंसी नोटों पर गांधी जी का चित्र नहीं था.
1969 में गांधी जी की पहली उपस्थिति
महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 1969 में उनके जन्म शताब्दी समारोह के दौरान 100 रुपये के नोट पर छपी। इस डिज़ाइन में गांधी जी को बैठे हुए दिखाया गया था और उनके पीछे सेवाग्राम आश्रम का दृश्य था[2][4]. यह निर्णय उस समय लिया गया जब देश ने गांधी जी की 100वीं जयंती मनाई थी।
तस्वीर का चयन
गांधी जी की मुद्रा पर जो तस्वीर है, वह 1946 में खींची गई थी। इस फोटो में वे ब्रिटिश राजनीतिज्ञ लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े हैं। RBI के करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट और भारत सरकार के अधिकारियों ने इस तस्वीर को चुना था, लेकिन अंतिम निर्णय किसने लिया, यह स्पष्ट नहीं है.
अन्य विकल्प
गांधी जी से पहले कई अन्य नामों पर चर्चा हुई थी। इनमें जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल जैसे नेताओं का नाम शामिल था। हालांकि, अंततः गांधी जी को चुना गया क्योंकि उनकी छवि शांति और अहिंसा का प्रतीक मानी जाती है.
मुद्रा पर गांधी जी का स्थायी स्थान
1996 में RBI ने सभी मूल्य वर्ग के नोटों पर महात्मा गांधी की छवि को स्थायी रूप से लागू किया। इसके बाद से हर भारतीय नोट पर गांधी जी का चित्र दिखाई देता है, जो उन्हें भारतीय पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बनाता है.
महात्मा गांधी की मुद्रा पर उपस्थिति केवल एक तस्वीर नहीं है; यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है। उनकी मुस्कान आशा और शक्ति का प्रतीक बन चुकी है। आज भी, उनका चित्र भारतीय करेंसी पर गर्व और राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देता है।