महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों पर सबसे पहले 1969 में छपी थी। यह विशेष नोट उनके 100वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में जारी किया गया था। इस लेख में हम इस ऐतिहासिक घटना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें महात्मा गांधी की छवि के चयन, उसके पीछे की कहानी और भारतीय मुद्रा पर उनके चित्र के स्थायी होने की प्रक्रिया शामिल है।
महात्मा गांधी का चित्र: प्रारंभिक इतिहास
1969 का विशेष नोट
महात्मा गांधी का चित्र भारतीय मुद्रा पर पहली बार 1969 में आया। यह नोट उनके जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर जारी किया गया था, जिसमें गांधी जी को सेवाग्राम आश्रम के पृष्ठभूमि में दर्शाया गया था[1][3]. इस नोट ने भारतीय जनता के बीच गांधी जी के प्रति सम्मान और श्रद्धा को और बढ़ाया।
तस्वीर का चयन
गांधी जी की मुद्रा पर जो फोटो इस्तेमाल की गई, वह एक 1946 की तस्वीर से ली गई थी, जिसमें वे ब्रिटिश राजनीतिज्ञ लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ हैं। इस तस्वीर को उनके मुस्कुराते हुए चेहरे के लिए चुना गया था, जो उनकी सकारात्मकता और मानवता का प्रतीक है.
भारतीय मुद्रा का विकास
स्वतंत्रता के बाद का दौर
भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पहले किंग जॉर्ज VI की छवि वाले नोट जारी किए। लेकिन धीरे-धीरे यह महसूस किया गया कि गांधी जी की छवि को मुद्रा पर होना चाहिए। इसलिए, 1947 में स्वतंत्रता के बाद किंग जॉर्ज की जगह अशोक स्तंभ का प्रतीक रखा गया था.
गांधी जी की छवि का स्थायी होना
1987 में, ₹500 के नोटों की एक श्रृंखला जारी की गई जिसमें एक मुस्कुराते हुए गांधी जी का चित्र था। इसके बाद 1996 में ‘महात्मा गांधी श्रृंखला’ शुरू हुई, जिसमें विभिन्न मूल्यवर्ग के सभी नोटों पर गांधी जी की छवि शामिल थी। यह श्रृंखला सुरक्षा विशेषताओं में सुधार करने के उद्देश्य से बनाई गई थी.
महात्मा गांधी का महत्व
गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है और उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय है। उनकी छवि भारतीय मुद्रा पर न केवल उनकी महानता का प्रतीक है बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को भी दर्शाता है। आरबीआई ने कई बार अन्य नेताओं या देवी-देवताओं की छवियों को शामिल करने के प्रस्तावों को खारिज किया है, यह कहते हुए कि कोई भी अन्य व्यक्तित्व गांधी जी से बेहतर नहीं हो सकता जो भारत की आत्मा को दर्शाता हो.
महात्मा गांधी का चित्र भारतीय नोटों पर पहली बार 1969 में छपा था, और तब से यह भारतीय संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गया है। उनका चित्र आज भी सभी मूल्यवर्ग के नोटों पर मौजूद है, जो उनकी स्थायी विरासत को दर्शाता है।