प्रेमानंद जी महाराज, वृंदावन के प्रसिद्ध संत, हाल ही में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे। उनकी तबीयत शुक्रवार रात को अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में जांच के बाद उन्हें सीने में दर्द की शिकायत थी, लेकिन अब उनकी स्थिति में सुधार हुआ है और वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्होंने शनिवार को अपनी नियमित दिनचर्या के अनुसार काम किया, जिसमें परिक्रमा करना और भक्तों को दर्शन देना शामिल था.
स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति
प्रेमानंद जी महाराज का स्वास्थ्य अब स्थिर है। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया है, क्योंकि उन्होंने पिछले चार वर्षों से अन्न का सेवन नहीं किया है और किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। महाराज जी की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं और उन्हें नियमित रूप से डायलिसिस कराना पड़ता है[3][4]. इसके बावजूद, वे एक कठोर दिनचर्या का पालन करते हैं और अपने अनुयायियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहते हैं।
पानी पीने में कठिनाई
हालांकि महाराज जी की तबीयत में सुधार हुआ है, लेकिन उन्हें पानी पीने में कठिनाई होती है। उन्होंने बताया कि डायलिसिस के कारण उन्हें अधिक पानी पीना मना है। वे केवल एक छोटे पात्र में ही पानी पी पाते हैं, जो चाय की कुल्हड़ से भी छोटा होता है। जब उन्हें प्यास लगती है, तो वे गीले कपड़े का उपयोग करके अपने मुंह को पोंछते हैं. यह स्थिति उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि शरीर की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता।
संतों का जीवन और अनुयायियों पर प्रभाव
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन उनके अनुयायियों के लिए एक प्रेरणा है। वे न केवल धार्मिक प्रवचन करते हैं बल्कि अपने अनुयायियों को स्वस्थ रहने के लिए भी सलाह देते हैं। उनका मानना है कि नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है। उन्होंने लोगों को गुनगुने पानी का सेवन करने और सुबह की सैर करने की सलाह दी है, जिससे पेट की समस्याओं से राहत मिलती है.
प्रेमानंद जी महाराज की स्वास्थ्य स्थिति अब बेहतर हो चुकी है, लेकिन उनकी किडनी की समस्या अभी भी बनी हुई है। उनके अनुयायी उनकी भक्ति और समर्पण को देखते हुए हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं। महाराज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद भी हमें अपने धर्म और कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।