प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, घर के मंदिर में मूर्तियों की स्थापना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य है। यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति भी लाता है। लेकिन, इस कार्य को करते समय कुछ विशेष नियमों और शास्त्रों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज का इस विषय पर क्या दृष्टिकोण है।
घर के मंदिर में मूर्तियों की संख्या
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, घर के मंदिर में एक से अधिक मूर्तियाँ रखी जा सकती हैं, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं। वे बताते हैं कि मूर्तियों की संख्या और उनके प्रकार का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए।
शास्त्रों का पालन
- एकता का महत्व: घर के मंदिर में यदि एक से अधिक मूर्तियाँ रखी जा रही हैं, तो यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी मूर्तियाँ एक ही परिवार या एक ही देवी-देवता के रूप में होनी चाहिए। इससे पूजा में एकता और समर्पण की भावना बनी रहती है.
- स्थान का चुनाव: मूर्तियों को स्थापित करने के लिए स्थान का चुनाव भी महत्वपूर्ण है। प्रेमानंद जी महाराज सलाह देते हैं कि मूर्तियाँ ऐसी जगह स्थापित की जाएं जहां पर उन्हें नियमित रूप से पूजा अर्चना की जा सके और जो स्थान पवित्र हो.
- समान आकार और आकार: यदि एक से अधिक मूर्तियाँ रखी जा रही हैं, तो उनका आकार और आकृति समान होनी चाहिए। इससे पूजा करते समय कोई असुविधा नहीं होगी और सभी देवताओं के प्रति श्रद्धा बनी रहेगी.
पूजा विधि
- नियमित पूजा: घर के मंदिर में रखी गई सभी मूर्तियों की नियमित पूजा करनी चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि पूजा विधि का पालन करना आवश्यक है ताकि देवताओं की कृपा बनी रहे.
- स्वच्छता का ध्यान: मंदिर की स्वच्छता भी बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से मंदिर को साफ रखना चाहिए और मूर्तियों पर धूल नहीं जमने देनी चाहिए.
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
– खंडित मूर्तियाँ: यदि किसी मूर्ति में खंडित भाग है, तो उसे तुरंत हटाना चाहिए क्योंकि खंडित मूर्तियाँ पूजा में बाधा डालती हैं और अशुभ मानी जाती हैं.
– वास्तु शास्त्र: प्रेमानंद जी महाराज ने वास्तु शास्त्र के अनुसार भी सलाह दी है कि मंदिर का स्थान सही होना चाहिए ताकि वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.
घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना एक पवित्र कार्य है, लेकिन इसे करते समय शास्त्रों और मर्यादाओं का पालन करना आवश्यक है। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, एक से अधिक मूर्तियाँ रखी जा सकती हैं, बशर्ते कि वे सही तरीके से स्थापित की जाएं और उनकी पूजा विधि का पालन किया जाए।
यह जानकारी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता लाने में भी सहायक सिद्ध होती है।