हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश जी को विघ्नहर्ता, खुशकर्ता, विनायक आदि कई नामों से जाना जाता है। किसी भी मांगलिक काम से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के 10वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी के दिन गणपित विसर्जन किया जाता है। कुछ लोग डेढ़, तीन, पांच या सातवें दिन भी गणपति विसर्जन करते हैं।
गणपती जी का आगमन और विदायी दोनों ही शुभ मुहूर्त और विधि-विधान से किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जितने हर्षोल्लास के साथ गणेश जी को घर लाया जाता है, उसी उत्साह के साथ उनकी विदायी भी करनी चाहिए।
गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश विसर्जन का महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह प्रक्रिया गणेश जी को उनके मूल स्थान पर वापस भेजने का प्रतीक है। यह मानव जीवन में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को दूर करने का प्रतीक है। गणेश विसर्जन के माध्यम से हम गणेश जी से आशीर्वाद और आनंद मांगते हैं।
गणेश विसर्जन की विधि
गणेश विसर्जन से पहले शुभ मुहूर्त, विसर्जन के नियम जैसे तमाम जानकारी होना बेहद जरूरी है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन करने से पहले घर में पूजा अवश्य कर लें। फिर उनका आरती उतार लें। मनपसंद भोग लगाएं। उसके बाद ही बप्पा को घर से विदा करें। ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और जातक के जीवन से सभी प्रकार के संकट समाप्त हो जाते हैं।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के लिए 4 शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे। इन मुहूर्त में गणपति बप्पा का विसर्जन करना शुभ माना जाता है।
गणेश विसर्जन का संदेश
गणेश विसर्जन हमें यह संदेश देता है कि जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना करने की हिम्मत रखें। हर संकट का समाधान है। गणेश जी हमारे जीवन में आने वाली हर बाधा को दूर करते हैं और हमें सफलता प्रदान करते हैं। गणेश विसर्जन का यह संदेश है कि हम अपने जीवन में आने वाली हर परेशानी का सामना करके उसे दूर करें और खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करें।
इस प्रकार, गणेश चतुर्थी के बाद गणेश जी का विसर्जन करना हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह प्रक्रिया गणेश जी को उनके मूल स्थान पर वापस भेजने का प्रतीक है और मानव जीवन में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को दूर करने का संदेश देती है। गणेश विसर्जन के माध्यम से हम गणेश जी से आशीर्वाद और आनंद मांगते हैं और अपने जीवन में आने वाली हर परेशानी का सामना करके उसे दूर करने का प्रयास करते हैं।